भारत सरकार Deepfake (डीपफेक) तकनीक के बढ़ते दुरुपयोग और इसके सामाजिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत खतरों को देखते हुए अब इस पर सख्त कानून बनाने की तैयारी कर रही है। आइए इस कदम को विस्तार से समझते हैं:
Deepfake क्या है?
Deepfake एक AI-आधारित तकनीक है, जिसमें किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज या हाव-भाव को किसी और के साथ मिलाकर एक नकली लेकिन असली जैसा वीडियो, ऑडियो या इमेज तैयार किया जाता है। इसका इस्तेमाल गलत सूचना फैलाने, बदनाम करने या धोखाधड़ी के लिए किया जा सकता है।

Deepfake क्यों जरूरी हुआ कड़ा कानून?
- राजनीतिक गलत सूचना: चुनावों के दौरान नेताओं के नकली वीडियो वायरल किए जा रहे हैं।
- महिलाओं को टारगेट करना: कई मामलों में महिलाओं के चेहरों को अश्लील वीडियो पर लगाकर उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा है।
- फ्रॉड और साइबर क्राइम: Deepfake की मदद से लोगों की आवाज या चेहरा नकल करके फाइनेंशियल फ्रॉड किया जा रहा है।
- सोशल ट्रस्ट में गिरावट: लोग असली-नकली में फर्क नहीं कर पा रहे, जिससे समाज में अविश्वास बढ़ रहा है।
Deepfake सरकार का बड़ा कदम
सूचना और प्रसारण मंत्रालय (I&B Ministry) और इलेक्ट्रॉनिक्स व IT मंत्रालय (MeitY) मिलकर निम्नलिखित कदम उठा रहे हैं:
- सख्त कानून: Deepfake कंटेंट बनाने, शेयर करने और प्रचारित करने वालों पर कठोर सजा और जुर्माना तय किया जाएगा।
- AI रेगुलेशन फ्रेमवर्क: जनरेटिव AI और Deepfake के लिए एक स्पष्ट नीति और गाइडलाइन तैयार की जा रही है।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी: फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स को Deepfake कंटेंट तुरंत हटाने और रिपोर्ट करने की कानूनी बाध्यता होगी।
- Awareness अभियान: जनता को Deepfake की पहचान और उससे बचने के तरीकों की जानकारी दी जाएगी।

Deepfake संभावित सजा
- Deepfake कंटेंट बनाना और उसे फैलाना साइबर अपराध की श्रेणी में आएगा।
- 3 से 7 साल तक की जेल और ₹10 लाख तक जुर्माने का प्रस्ताव हो सकता है (अभी Draft पर काम जारी है)।
Deepfake क्या आप कर सकते हैं?
- किसी भी संदिग्ध वीडियो या ऑडियो को बिना जांचे शेयर न करें।
- Deepfake की पहचान करने वाले टूल्स और तकनीकों का इस्तेमाल करें।
- संदिग्ध कंटेंट को तुरंत प्लेटफॉर्म और साइबर सेल को रिपोर्ट करें।
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