
क्रिकेट के इतिहास में कुछ मुकाबले ऐसे दर्ज हो जाते हैं, जिन्हें दशकों बाद भी याद किया जाता है। ऐसा ही एक अविस्मरणीय मैच था, जिसने 18 साल पहले क्रिकेट प्रेमियों को दांतों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर कर दिया था। यह वो मुकाबला था जो आखिरी गेंद पर टाई हुआ, और फिर उसका फैसला ‘बॉल आउट’ से हुआ – एक ऐसा क्षण जिसने रोमांच की सारी हदें पार कर दी थीं।
आज से ठीक 18 साल पहले (लगभग सितंबर 2007 की बात है), टी20 विश्व कप के शुरुआती दौर में भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया वह मैच शायद ही कोई भूल पाएगा। किंग्समीड, डरबन में खेला गया यह मुकाबला अपने आप में ऐतिहासिक था। दोनों चिर-प्रतिद्वंद्वी टीमों के बीच हमेशा से ही जबरदस्त प्रतिस्पर्धा रही है, लेकिन उस दिन जो हुआ, वह अभूतपूर्व था।
मैच आखिरी गेंद तक खिंचा और दोनों टीमों का स्कोर बराबर रहा। आम तौर पर ऐसे मामलों में सुपर ओवर का सहारा लिया जाता है, लेकिन उस टूर्नामेंट में ‘बॉल आउट’ का नियम लागू था। ‘बॉल आउट’ यानी दोनों टीमों के गेंदबाजों को बिना किसी बल्लेबाज के सामने स्टंप्स पर गेंद फेंकनी थी। जो टीम ज्यादा बार स्टंप्स हिट करती, वही विजेता बनती।
यह दृश्य अपने आप में अनोखा और बेहद तनावपूर्ण था। एक तरफ अनुभवी गेंदबाज थे, तो दूसरी तरफ उन पर जीत का दबाव। भारतीय खेमे से वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और रॉबिन उथप्पा जैसे खिलाड़ियों ने सटीकता से स्टंप्स को निशाना बनाया। वहीं, पाकिस्तानी गेंदबाज चूक गए। भारत ने 3-0 से यह बॉल आउट जीता और एक अविश्वसनीय जीत दर्ज की।
उस रात करोड़ों क्रिकेट प्रशंसकों ने अपनी सांसें थाम ली थीं। ‘बॉल आउट’ ने मैच के रोमांच को एक अलग ही स्तर पर पहुंचा दिया था। यह सिर्फ एक क्रिकेट मैच नहीं था, बल्कि अनिश्चितता, दबाव और अप्रत्याशितता का एक अनुपम उदाहरण था।
आज जब हम उस मैच को याद करते हैं, तो 18 साल बाद भी वह रोमांच, वह जुनून और वह खुशी ज्यों की त्यों महसूस होती है। यह दिखाता है ।
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